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Unhygienic Food and Pathetic Service at Comesum Restaurants

June 23, 2015 By Satish Chandra Satyarthi Leave a Comment

  परसों ट्रेन से पुरानी दिल्ली उतरने के बाद भूख लगी थी तो Comesum Food Junctionचला गया. कुछ सालों पहले यहाँ खाना खाया था तो इसका स्टैण्डर्ड काफी अच्छा था. लेकिन कल बहुत ही घटिया अनुभव रहा. 350 रूपये चार्ज करने और आधा घंटा इंतज़ार करवाने के बाद जो खाना उन्होंने दिया उसे देखकर मूड… Continue Reading …

Filed Under: हिन्दी

क्या कीड़े-मकोड़ों को दर्द होता है?

May 29, 2015 By Satish Chandra Satyarthi Leave a Comment

अगर आप किसी कीड़े-मकोड़े (Insect) को गलती से घायल कर देते हैं और वह ऐसी अवस्था में है कि उसका मरना लगभग तय है तो आपको क्या करना चाहिए? क्या उसे मार देना चाहिए जिससे कि उसे घायल अवस्था में देर तक कष्ट न झेलना पड़े. या फिर उसे छोड़ देना चाहिए क्योंकि जान-बूझकर किसी… Continue Reading …

Filed Under: हिन्दी Tagged With: Thoughts

Defend Internet Freedom in India!

April 14, 2015 By Satish Chandra Satyarthi Leave a Comment

net-neutrality- defend open internet

क्या आपको ओपन इंटरनेट (or Net Neutrality) को लेकर चल रही बहस के बारे में पता है? टेलिकॉम कंपनियों का नेक्सस इस कोशिश में है कि वो इंटरनेट पर कब्ज़ा करें और उससे पैसे कमायें. एयरटेल पहले ही एक बार ऐसी कोशिश कर चुका है. अगर ये कम्पनियाँ अपने मकसद में कामयाब रहती हैं तो… Continue Reading …

Filed Under: Technology, हिन्दी

मेरी कैरियर से जुड़े अहम फैसले – बेवकूफियों की सीरीज

January 6, 2015 By Satish Chandra Satyarthi 2 Comments

Career Decisions right or wrong

1. बिहार में सरकारी नौकरी की जितनी वैल्यू है उतनी किसी और प्रोफेशन की नहीं. 2007 में मुझे बैंक की नौकरी हुई थी. और ठीक उसी समय जेएनयू का एंट्रेस टेस्ट भी हो गया था. मैंने नौकरी की जगह जेएनयू में पढ़ने का ऑप्शन चुना. मेरे जानने वालों के अनुसार यह मेरी बहुत बड़ी बेवकूफी… Continue Reading …

Filed Under: हिन्दी Tagged With: Career, Life

कितना खतरनाक है प्रदूषित दिल्ली में रहना

January 2, 2015 By Satish Chandra Satyarthi Leave a Comment

कुछ महीनों पहले एक रिपोर्ट पढ़ी थी कि दिल्ली की हवा इतनी प्रदूषित है कि सिर्फ सांस लेने से ही आप रोज आठ सिगरेट्स के बराबर Toxins अपने फेफड़ों में लेते हैं. अगर आप दिल्ली में एक दिन रहते हैं तो इन Toxins से आपकी ज़िन्दगी के दो घंटे कम हो जाते हैं. हलके फुल्के… Continue Reading …

Filed Under: हिन्दी

मेरा पहला DSLR कैमरा और कुछ तस्वीरें

July 3, 2014 By Satish Chandra Satyarthi 2 Comments

nikon d5300 Camera

पिछले 29 तारीख को एक अपना पहला DSLR कैमरा खरीदा – Nikon D5300. काफी रिसर्च करने के बाद मेरे बजट के अन्दर सबसे अच्छा कैमरा यही लगा. इससे पहले मेरे पास कैनन का एक छोटा डिजिटल कैमरा था – S95. हालांकि अपनी कैटेगरी में वह काफी बेहतरीन कैमरा था पर छोटे पॉइंट एंड शूट कैमरों की… Continue Reading …

Filed Under: Photography, कोरिया, हिन्दी

आज करे सो अब

May 7, 2014 By Satish Chandra Satyarthi 1 Comment

Do it now satish_paulo

अक्सर हम किसी बड़े काम या बेहतरीन आइडिया को सिर्फ इसलिए यह सोचकर टालते रहते हैं कि बाद में और बेहतर तरीके से करेंगे. उदाहरण कई हैं – आप कविताएँ लिखना चाहते हैं, कई छोटे बड़े विचार भी हैं दिमाग में. पर सोच रहे हैं कि बाद में अच्छे से अरेंज करके लिखेंगे. जब समय… Continue Reading …

Filed Under: हिन्दी Tagged With: विचार

कोरियाई हिन्दी छात्र और हिन्दी इनस्क्रिप्ट टाइपिंग

May 5, 2014 By Satish Chandra Satyarthi Leave a Comment

My Korean Hindi Student

मेरा एक स्टूडेंट हैं जिसने एक दो महीने पहले हिन्दी सीखनी शुरू की है. वह प्राइमरी स्कूल में छठी कक्षा का छात्र है; उम्र करीब 12-13 साल. दो महीने पहले उसकी मां का फोन आया था मेरे पास कि बच्चे की भारत और हिन्दी में बड़ी गहरी रूचि है और अब तक वह खुद से… Continue Reading …

Filed Under: कोरिया, हिन्दी

कोरिया में अंतिम संस्कार

May 5, 2014 By Satish Chandra Satyarthi 2 Comments

आज पहली बार कोरिया में किसी अंतिम संस्कार (장례식) में गया. तीन दिन पहले मेरे प्रोफ़ेसर की माताजी का देहांत हो गया था. दो दिन तक मैं किसी काम में बहुत बिजी था तो आज तीसरे दिन शाम में जा पाया. कोरिया में अंतिम संस्कार का कार्यक्रम साधारणतः तीन दिन का होता है. लेकिन मेरे… Continue Reading …

Filed Under: कोरिया, हिन्दी

जंगल, आग और हम

May 3, 2014 By Satish Chandra Satyarthi 7 Comments

uttarakhand-forest-fire

पिछले साल जब मैं उत्तराखंड गया था तो रात में टहलते हुए देखा कि दूर पहाड़ों पर करीब पांच सौ मीटर का क्षेत्र रोशनी से जगमग कर रहा है। पहले लगा कि कोई मंदिर वगैरह होगा। फिर लगा कि इतना बड़ा मंदिर होता तो मुझे पता होता और फिर इतने ऊँचे पहाड़ों में इतनी बिजली… Continue Reading …

Filed Under: Featured, Opinion, हिन्दी

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