नागार्जुन का काव्य शिल्प – अंतिम भाग

by Dr. Satish Chandra Satyarthi  - July 15, 2012

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नागार्जुन पर यह आरोप अक्सर लगाया जाता रहा है की अपनी कविताओं में वे छंद और शिल्प के प्रति उदासीन हैं।सबसे पहले हमें यह देखना चाहिए की यह उदासीनता भाषा और शिल्प की अज्ञानता के कारण है या जानबूझकर अपनाई गयी है। नागार्जुन हिन्दी के अलावा संस्कृत, पाली, प्राकृत, बँगला,मैथिली आदि भाषाओं के भी जानकार थे। उन्होंने संस्कृत में काव्यरचना भी की है और हिन्दी में छंदबद्ध कविताएँ भी लिखी हैं।इसलिए यह कहना ग़लत होगा कि उन्हें भाषा-शिल्प का ज्ञान नहींथा। बल्कि उन्होंने कभी अपने कों छंद और शिल्प में बंधने नहींदिया। वह कविता बतकही की भाषा अपनाते हैं। यह भाषा जहाँस्थानीय शब्दों से अपने कों रंगती है वहीं अन्य भाषाओं के शब्दों कोंसमाहित कर काव्य कों एक विविधता प्रदान करती है। नागार्जुनकी कविताओं में शिल्प बनावटी या गढा हुआ नहीं है बल्कि सहजऔर उदार है। उनके काव्य में कबीर के भाषाई अक्खडपन औरनिराला के व्यंग्य-वैविध्य का अनूठा संगम है।

भाषा के स्तर पर यह नागार्जुन की विशेषता है कि उनकी कवितासीधे जन से जाकर जुड़ती है। नागार्जुन कविता लिखते समय श्रोताके रूप में अपने सामने किसी कला-पारखी अथवा विद्वान कों नहींरखते बल्कि आम ‘जन’ कों रखते हैं। शायद यही कारण है कि जहाँउनकी कविता एक ओर एक अल्पशिक्षित किसान की समझ मेंआ जाते है है वहीँ बड़े साहित्यिक विद्वान उसे समझने में कठिनाईका अनुभव करते हैं। क्योंकि उनकी कविता कों समझने के लिएपहले साहित्यिक और कलागत पूर्वाग्रहों के चश्मे कों उतारना पड़ताहै।

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सन्दर्भ ग्रन्थ

१. मार्क्सवाद और आधुनिक हिंदी कविता – जगदीश्वर चतुर्वेदी

२. प्रगतिवादी हिंदी साहित्य — डॉ. कृष्ण लाल “हंस”

३. आधुनिक हिंदी साहित्य का इतिहास – दच्चन सिंह

4. नागार्जुन – कवि और कथाकार – सत्यनारायण

5. सामाजिक चेतना के निर्भय कवि बाबा नागार्जुन – डा0कुमारेन्द्र सिंह सेंगर जी का आलेख

6. डॉ. रूपचंद्र शास्त्री मयंक जी के ब्लॉग पर प्रकाशित बाबानागार्जुन से सम्बंधित उनके संस्मरण

कुछ अन्य स्रोत भी हैं पर सबका उल्लेख करना संभव नहीं है। इसके लिए क्षमा चाहता हूँ। पर उन सबके प्रति ह्रदय से आभारी हूँ।

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Dr. Satish Chandra Satyarthi

Dr. Satish Satyarthi is the Founder of CEO of LKI School of Korean Language. He is also the founder of many other renowned websites like TOPIK GUIDE and Annyeong India. He has been associated with many corporate companies, government organizations and universities as a Korean language and linguistics expert. You can connect with him on Facebook, Twitter or Google+

  • काबिल ए तारीफ़ संकलन श्रीमान जी | बहुत मेहनत से बनाया है साधुवाद |
    राजेश श्रीवास्तव

  • काव्य शिल्प माने क्या है? क्या क्या आने पर एक कविता काव्य शिल्प के आधार पर बन जाता है?

  • बहुत बहुत धन्यवाद सर! कवि नागार्जुन के बारे मे समीक्षात्मक रूप से जानकारी उपलब्ध कराने के लिए।

  • अत्यंत प्रशंसनीय आलेख….. बहुत बहुत धन्यवाद!
    नागार्जुन की संभवतः सभी मनोवृत्तियों को उजागर किया है तथा यथासंभव उपयुक्त उदाहरण देकर उनके काव्य सौंदर्य को भी उद्घाटित किया है… हार्दिक साधुवाद????????????????

  • काबिलेतारीफ कार्य है बहुत बहुत धन्यवाद 🙏

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