
बाबा नागार्जुन
जवाहर लाल नेहरु विश्वविद्यालय में बीए करने के दौरान हिन्दी कविता का एक ऑप्शनल कोर्स लिया था. उसमें एक पेपर प्रेजेंट करना था किसी आधुनिक कवि के ऊपर. तो मैंने इसके लिए बाबा नागार्जुन को चुना था और जो पेपर मैंने बनाया और प्रेजेंट किया था उसे यहाँ इस ब्लॉग पर डाल रहा हूँ. साहित्य में तो रूचि शुरू से रही थी पर साहित्य की थ्योरी वगैरह से इससे पहले कभी वास्ता नहीं पड़ा था. बड़ी मेहनत की थी इसको तैयार करने के लिए. लाइब्रेरी में कई धूल पडी किताबों कों झाड़ पोंछ कर पढा, कई वेबसाइट्स और ब्लोग्स की ख़ाक छानी, कविताकोष पर भी समय बिताया. और किसी तरह लिख-लिखा कर आलेख तैयार किया। हालांकि गुणवत्ता से मैं ख़ुद संतुष्ट नहीं हूँ पर फ़िर भी लगा कि क्यों न इसे ब्लॉग पर डाल दिया जाए। अगर यह किसी शोध कार्य में सहायक नहीं भी हो तो कम से कम लोग पढ़कर आनंद तो ले ही सकते हैं। पढकर टिप्पणी ज़रूर दें कि आलेख आपको कैसा लगा। चूंकि यह आलेख बहुत लंबा है, आप इसे पढ़ते हुए बोर न हों इसलिए इसे छह भागों में बांटकर यहाँ पोस्ट किया है.
नागार्जुन की कविताओं कों हम मुख्यतः चार श्रेणियों में रख सकते हैं। पहली, रागबोध की कविताएँ जिनमें प्रकृति-सौंदर्य और प्रेम कविताओं कों रखा जा सकता है। दूसरी, यथार्थपरक कविताएँ जिनमें सामाजिक, आर्थिक, और राजनीतिक यथार्थ कों दर्शाती कविताएँ हैं। तीसरे, राष्ट्रीयता से युक्त कविताएँ और चौथे व्यंग्य प्रधान कविताएँ।
Very good.I like kavi nagarjun.