अक्सर हम किसी बड़े काम या बेहतरीन आइडिया को सिर्फ इसलिए यह सोचकर टालते रहते हैं कि बाद में और बेहतर तरीके से करेंगे. उदाहरण कई हैं – आप कविताएँ लिखना चाहते हैं, कई छोटे बड़े विचार भी हैं दिमाग में. पर सोच रहे हैं कि बाद में अच्छे से अरेंज करके लिखेंगे. जब समय होगा तब. जब नौकरी लग जायेगी तब. जब रिटायर हो जायेंगे तब. आप कोई किताब लिखना चाहते हैं. कोई सोशल वर्क शुरू करना चाहते हैं. बिजनेस का कोई बेहतरीन आइडिया दिमाग में है. पर लग रहा है कि अभी सही समय नहीं है यह करने के लिए. आप बाद में कभी करेंगे. तब, जब आप एकदम परफेक्ट होंगे. आपके पास बहुत सारा ज्ञान होगा. बहुत सारे पैसे होंगे, या बहुत सारा समय होगा, कोई टेंशन नहीं होगी. है न? लेकिन शायद वो ‘तब’ कभी आयेगा ही नहीं.
यह बात हम सबको पता है कि हम परफेक्ट कभी नहीं हो सकते. और परफेक्ट होने के जरुरत भी नहीं है. आप दुनिया के सफल से सफलतम व्यक्ति को ले लें. यहाँ तक कि ईश्वर के अवतारों को ले लें. उन सबमें त्रुटियाँ रही हैं. पर क्या उन कमियों ने उनकी सफलता में कोई रुकावट डाली? उन्हें उन कामों को करने से रोका जिन्हें वे अपने जीवन में करना चाहते थे?
हममें कमियाँ और समस्याएँ हमेशा रहेंगी. जो काम अभी हम कर रहे हैं उनमें भी हम पूर्ण नहीं हैं. बहुत सारी कमियां हैं. फिर भी कर रहे हैं. फिर कुछ कामों में हम ऐसे बहाने क्यों बनाने लगते हैं? अगर आप गौर से देखेंगे तो पायेंगे कि आप उन्हीं कामों को बाद के लिए ज्यादा टालते हैं जो कि आप वाकई दिल से करना चाहते हैं. जिनको आप ‘काम’ नहीं समझते. ऐसी चीज समझते हैं जिसे करके आपको सिर्फ और सिर्फ खुशी मिलेगी. बोरियत या थकान का तो सवाल ही नहीं. फिर क्यों टालते हैं हम ऐसे कामों को?
शायद यह मानवीय स्वभाव है कि जो काम उसे प्रिय होते हैं, जिन्हें वह दिल से करना चाहता हैं उनमें असफलता की आशंका से भी वह घबराता है. इसलिए उन कामों को वह तभी शुरू करना चाहता है जब उसके पास उन्हें पूरा करने के लिए सारी अनुकूल परिस्थितियाँ हों. और दुनिया में अधिकाँश लोग इस कारण उन कामों को कभी कर ही नहीं पाते जिन्हें वो वाकई करना चाहते थे. चाहे वो कविता लिखना हो, पेंटिंग करना हो, संगीत सीखना हो, कोई नयी खोज करनी हो, नया बिजनेस शुरू करना हो या किसी से अपने प्रेम को व्यक्त करना हो.
किसी काम को नहीं करने से बेहतर है उसे शुरू करना और असफल हो जाना. असफलता कम से कम आपको कुछ सिखाकर जायेगी. कोशिश ही नहीं करना आपके ज्ञान और अनुभव में कोई बढ़ोतरी नहीं करेगा. अगर आप एक आर्टिकल लिखना चाहते हैं और यह सोच रहे हैं कि बाद में और बेहतर रिसर्च करके और अच्छे से लिखेंगे तो इसकी ज्यादा संभावना है कि वह आर्टिकल कभी लिखा ही नहीं जाएगा. एक अपूर्ण या त्रुटियों से भरा आर्टिकल भी ऐसे सौ आर्टिकल्स से बेहतर है जो आपके दिमाग में ही रह गए, कागज़ पर उतरे ही नहीं. ये भी याद रखें कि एक समय के बाद लोग आपकी एक सफलता को याद रखेंगे न कि आपकी सौ असफलताओं को.
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