कितना खतरनाक है प्रदूषित दिल्ली में रहना

by Dr. Satish Chandra Satyarthi  - January 2, 2015

delhi-pollutionकुछ महीनों पहले एक रिपोर्ट पढ़ी थी कि दिल्ली की हवा इतनी प्रदूषित है कि सिर्फ सांस लेने से ही आप रोज आठ सिगरेट्स के बराबर Toxins अपने फेफड़ों में लेते हैं. अगर आप दिल्ली में एक दिन रहते हैं तो इन Toxins से आपकी ज़िन्दगी के दो घंटे कम हो जाते हैं. हलके फुल्के अंदाज़ में अखबारों ने इसे इस तरह भी छापा कि अमेरिकी राष्ट्रपति दिल्ली में 3 दिन रहे इसलिए उनकी ज़िन्दगी से 6 घंटे कम हो गए. और आज टाइम्स ऑफ इंडिया के फ्रंट पेज पर यह रिपोर्ट पढ़ी कि दिल्ली के लगभग 50% स्कूली बच्चों के लंग्स जहरीली हवा से डैमेज्ड हैं.

हवा में प्रदूषण को हवा में PM10 और PM2.5 की मात्रा से मापा जाता है. PM10 और PM2.5 क्रमशः 10 और 2.5 माइक्रोन से छोटे पार्टिकल्स होते हैं जो सांस लेने पर आपने फेफड़ों के अन्दर और यहाँ तक कि आपकी ब्लडस्ट्रीम तक में प्रवेश कर सकते हैं. ये पार्टिकल्स सांस और फेफड़ों की अलग अलग बीमारियों के साथ-साथ हृदयरोग जैसी बिमारी के लिए भी जिम्मेदार होते हैं. अमेरिकन स्टैण्डर्ड के अनुसार PM10 की 201 की मात्रा को ‘Very Unhealthy’ और 301 से ऊपर को ‘Hazardous’ माना जाता है. लेकिन आप यह जानकार शॉकड हो जायेंगे कि WHO की रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली की हवा में PM10 की मात्रा एक समय में 1000 को भी छू चुकी है. साल भर का औसत भी देखें तो दिल्ली में PM10 का लेवल 286 है जो दिल्ली को दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर बनाता है. और ऐसा नहीं है कि दिल्ली की सिर्फ हवा जहरीली है. यहाँ का पानी भी खतरे की हद तक प्रदूषित है. अक्सर सीवर का पानी घरों तक जाने वाली वाटर सप्लाई में मिल जाता है.

इन सब बातों से ज्यादा जो बात मुझे चिंतित करती है वो यह कि हम लोग इन सब बातों को इग्नोर करते हुए कितने आराम से जिए जा रहे हैं. यह समस्या कभी मेनस्ट्रीम डिबेट का हिस्सा नहीं बनती. इसके समाधान के लिए न तो जनता को कोई जल्दी है न ही सरकार को कोई चिंता है. चीन की राजधानी में एक समय में PM10 पार्टिकल्स की मात्रा 500 को पार कर गयी थी. तब यह खबर चीन के हर अख़बार और टीवी चैनल में छाई थी. यह एक अंतर्राष्ट्रीय मुद्दा बन गया था और चीनी जनता के दवाब में वहां की सरकार ने इसे नियंत्रित करने के लिए कड़े कदम उठाए. लेकिन हमारे यहाँ PM10 पार्टिकल्स की मात्रा 1000 को पार करने के बाद भी जनता कितनी चैन से है!! हम कब जागेंगे? ध्यान रखिये कि इस प्रदूषण को बढाने में आपका छोटा सा योगदान आपके बच्चे की उम्र का कर रहा है. उसे अस्थमा और ह्रदय रोग जैसी बीमारियाँ दे रहा है. जागिये, गंदगी फैलाना बंद कीजिये; अपने स्तर पर जितना संभव को सफाई कीजिये, पेड़ लगाइए और सरकार पर एक्शन के लिए दवाब बनाइये.

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Dr. Satish Chandra Satyarthi

Dr. Satish Satyarthi is the Founder of CEO of LKI School of Korean Language. He is also the founder of many other renowned websites like TOPIK GUIDE and Annyeong India. He has been associated with many corporate companies, government organizations and universities as a Korean language and linguistics expert. You can connect with him on Facebook, Twitter or Google+

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