पिछले रविवार को अपने मित्र अमोल के साथ हान नदी की और घूमने गया. हान नदी कोरिया की कैपिटल सिटी सियोल के बीचोबीच से गुजरती है. कुछ-कुछ दिल्ली की यमुना की तरह. पर जहाँ एक और हमने यमुना को दिल्ली की सारी गंदगी डालने का नाला बना रखा है वहीं हाँ नदी की स्वच्छता और खूबसूरती को यहाँ के लोगों ने संजोकर रखा है. शहर के अन्दर इस नदी की पूरी लम्बाई के किनारे की जगह को पिकनिक स्पॉट के रूप में विकसित किया गया है. हरी घास और पौधे लगाए गए हैं. छोटा-मोटा सामन, खाना-पानी बेचने वाली दुकानें लगाई गयी हैं. अगर आप नदी किनारे साइकिल चलाने का आनंद लेना चाहते हैं तो किराए पर साइकिल भी उपलब्ध है. नदी में बोटिंग, राफ्टिंग और जहाज पर बैठकर नदी की सैर करने की सुविधा भी उपलब्ध है. कुल मिलाकर हान नदी का किनारा सियोल की सबसे ख़ूबसूरत जगहों में से एक है. मेरे जैसे लोग खाली समय में भीडभाड़ वाले चमकते शॉपिंग मॉल्स की जगह नदी के किनारे शान्ति से कुछ समय बिताना ज्यादा पसंद करते हैं.
हान नदी के बीच में एक छोटा सा टापू है जो कुछ साल तक पहले सिर्फ वीरान जंगल की तरह था. सियोल गवर्नमेंट ने इसे विकसित कर सौन्युदो पार्क बनाया. इसमें प्राकृतिक वनस्पतियों का एक म्यूजियम बनाया. लोगों के बैठने के लिए पार्क जैसी जगह बनायी और टापू को लकड़ी और धातु के एक ख़ूबसूरत पुल से नदी के किनारे से जोड़ा.
हान नदी और पार्क में घूमने के बाद हमने टैक्सी ली और सिन्दोरिम के टाइम्स स्क्वेयर मॉल पहुंचे. प्लैन था कि सबसे पहले कॉफ़ी पी जायेगी फर थोड़ी देर मॉल घूमा जायेगा. कुछ पसंद आया तो शॉपिंग की जायेगी फिर खाना खाके वापस घर निकला जायेगा. लेकिन जहाँ हमने कॉफ़ी पी वहीं बगल में CGV का थियेटर था तो प्लेन बना कि एक मूवी भी देख ही ली जाये. जाकर मूवी के पोस्टर देखे. दोस्त को कोरियन नहीं आती इसलिए कोरियन फिल्म तो ऑप्शन में थी ही नहीं. दो हॉलीवुड फिल्मों पर विचार किया गया – ‘व्हाईट हाउस डाउन’ और ‘वर्ल्ड वार ज़ी’. मित्र का मन था व्हाईट हाउस डाउन देखने का पर मैंने वर्ल्ड वार ज़ी देखने के लिए कन्विंस किया. फिर सवाल आया कि फिल्म नॉर्मल थियेटर में देखी जाय, 3D में या 4DX में. 4DX की टिकट काफी महंगी थी पर आज तक 4DX में कोइ फिल्म देखी नहीं थी तो डिसाइड हुआ कि उसी में देखा जाए. तो हमने 9 बजे की टिकट खरीद ली. उस वक्त साढ़े छह बज रहे थे. सोचा कि मॉल घूमकर खाना खाते खाते नौ बज जायेंगे. फिर हम करीब एक घंटा मॉल में घूमे. फिर एक मेक्सिकन रेस्टोरेंट ‘ऑन द बौर्डर’ में गए. उस रेस्टोरेंट में कुछ ज्यादा ही भीड़ थी. गेट पर बुकिंग करने वाली लड़की ने बताया कि तीस से चालीस मिनट तक इंतज़ार करना पड़ेगा. दोस्त ने उस रेस्टोरेंट की बड़ी तारीफ़ की थी इसलिए मैंने कहा कि इंतज़ार कर ही लेते हैं. अच्छी बात ये रही कि हमारा नंबर पच्चीस मिनट में ही आ गया. रेस्टोरेंट का मेक्सिकन खाना वाकई बेहतरीन था. खाना खाकर हमलोग मूवी देखने के लिए निकले.
4DX टेक्नॉलोजी कोरिया की ही कंपनी CJ ने डेवलप की है और यहाँ कई सालों से है. भारत में अभी तक कोई 4DX थियेटर नहीं है. इसमें मूवी तो 3D होती ही है साथ में रियलिस्टिक इफेक्ट देने के लिए सीन के अनुसार सीट में मोशन और वाइब्रेशन होता है, पानी के फब्बारे और धुआँ वगैरह निकलता है, परदे के साथ-साथ सिनेमा हॉल की भी लाइट्स चमकती-बुझती हैं (जैसे बिजली चमकने के सीन में), यहाँ तक कि सीन के अनुसार 1000 तरह की गंध वाले परफ्यूम भी स्प्रे होते हैं.. कुल मिलाकर आपको लगता है कि आप फिल्म का एक हिस्सा हैं. ज्यादा जानकारी के लिए ये साईट देखिये. http://www.cj4dx.com/about/effects.asp फिल्म देखने का यह बिलकुल ही नया और अद्भुत अनुभव था.
अनूप शुक्ल says
यमुना नदी के बारे में सोचकर मन खराब हो गया। 🙁
फ़िल्म तकनीक 4X तो मजेदार है भाई! 🙂