
कोई कुछ भी कहे, ये केन्द्र सरकार है बड़ी हाईटेक. इसकी ईमानदारी और देश के प्रति चिंता के बारे में तो कुछ कहना भी सूरज को लालटेन दिखाने जैसा है. अभी एक-दो साल पहले सिब्बल लाल बोले थे कि गाँव-गाँव शहर-शहर में टैबलेट बंटवा देंगे. पहले तो मजदूर-किसान खुश हो गए कि चलो अब बीमारी से मरना नहीं पड़ेगा. कम से कम सरकार टैबलेट-कैप्सूल बाँट रही है. बाद में जब उनको पता चला कि ई कौनो आकाश कम्पूटर है तो सिब्बल को बहुत गरियाए. खैर.. गाली सुनने में तो अपने सिब्बल जी वैसे भी उपाधि प्राप्त कर चुके हैं. अब वो गाली से इम्यून हो गए हैं.
तो ये पता चलने पर कि ई आकाश नाम का कौनो स्लेट-पटरा टाइप कम्पूटर है गाँव-मोहल्ले के लौंडे लपाड़े खुश हो गए. हमारे बिहार-यूपी में कुछ लौंडों ने सिब्बल को राष्ट्रपिता बनाने की मांग कर डाली. कारण बोले कि अपने बाप को तो बोलते बोलते गला बैठ गया कि कम्पूटर दिला दो, कम्पूटर दिला दो. बोलता है कि जो किताब है उ तो पढ़ा नहीं जाता कम्पूटर लेंगे साले. गांधी, सुभाष और विवेकानंद कौन कम्पूटर पर पढ़े थे. अब गाँधी बिना कम्पूटर के पढ़ गए तो इसमें साला हमरा गलती है? विवेकानंद को यूपी-बिहार बोर्ड से मैट्रिक परीक्षा दिलवा लो. तिरपन परसेंट से ऊपर आ जाए तो मूंछ मुंडवा लें. ई सिब्बलवा साला जैसा आदमी को ही देश के लौंडो का बाप होना चाहिए. इसी को राष्ट्रपिता बनाओ. लेकिन जब दो साल हो गया और आकाश टैबलेट पेपर में ही बंट के रह गया और कम्पूटर मांगने गए लौंडों को सरकारी ऑफिसों से गरिया के भगा दिया गया तो लोगों ने कपिल सिब्बल के फोटो और पुतला पर मूत्र-विसर्जन किया.
इसके बाद अभी दस-पन्द्रह दिन पहले कौनो एक मंत्री-संतरी जी ने बोला कि 2012 के अंत तक हर गाँव में ऑप्टिकल फाइबर केबल से ब्रॉडबैंड पहुंचा दिया जायेगा. हम न्यूज को पूरा नीचे तक पढ़े कि कहीं लिखा हो कि नेताजी ने भांग पीकर नशे में यह बयान दे दिया था जिसे बाद में वापस ले लिया. लेकिन ऐसा कुछ नहीं था. लेकिन किसी बड़े अखबार ने नेताजी की बात को सीरियसली नहीं लिया और छठे-सांतवे पेज पर गाय-भैंस चोरी की ख़बरों के साथ छापा. नेताजी को शायद ध्यान ही नहीं रहा होगा कि ब्रॉडबैंड रेडियो में नहीं कम्प्यूटर में लगता है जो कि बिजली से चलता है जो कि अभी भी लाखो गांवों में नहीं है. खैर, इतना सोच के बोलते तो देश आज गड्ढे में थोड़े न होता.
अब अभी ताजा खबर आयी है कि पगड़ी वाले बाबा की सरकार हर गरीब को मोबाइल बांटेगी. काश मोबाइल से रिंगटोन के साथ रोटी भी डाउनलोड हो पाती. एक कहानी पढ़ी थी बहुत पहले कि एक राज्य में भारी अकाल पड़ा और जनता राजा के महल के बाहर आकार ‘रोटी-रोटी’ चिल्लाने लगी. तो राजा के बेटे ने पूछा,’पिताजी ये लोग रोटी-रोटी क्यों चिल्ला रहे हैं?’ राजा ने कहा कि इनके पास खाने के लिए रोटी नहीं है बेटा. इसीलिये चिल्ला रहे हैं. इसपर राजकुमार ने कहा कि रोटी नहीं है तो इनलोगों को तब तक फल-मिठाई-मेवा वगैरह खाना चाहिए. इसके लिए इतना परेशान क्यों है. आज सरकार में बैठे लोग उसी राजकुमार जैसे दिख रहे हैं. खैर, कहीं सुना था कि किसी विदेशी ऑब्जर्वर ने भारत से लौटने के बाद बोला था कि भारत में शौचालय से ज्यादा मोबाइल फोन हैं. खैर वो ऑब्जर्बर तो बुड़बक था. उसे पता ही नहीं था कि भारत में अभी हाईटेक ग्लोबलाइजेशन वाली सरकार है जिसके अनुसार गरीबों के लिए खाने-हगने की सुविधा से ज्यादा जरूरी कम्यूनिकेशन है. मोंटेक सिंह जायंगे पैंतीस लाख के शौचालय में क्योंकि इससे कम वाले में उनकी उतरती नहीं है. गरीब के एक हाथ में लोटा दूसरे में मोबाइल. पेट खराब हो जाए तो दवाई की गोली १ रूपये की और एसटीडी कॉल १ रूपये में २ मिनट. साला इसी दिन के लिए अम्बानी बोला होगा कि कर लो दुनिया मुट्ठी में.
ई कॉंग्रेस ही अकेली नहीं है ऐसी महान पार्टी. सब साले चोर हैं. बिहार में नीतिश कुमार- स्कूल में टीचर को ए फॉर एपल का स्पेलिंग नहीं पता, क्लासरूम में बेंच नहीं, लाइब्रेरी में किताब नहीं और बंट गया लड़कियों को साइकिल और टीचर्स को रेडियो. अब स्कूल में मैडम जी ‘माई नेम इज शीला…. शीला की जवानी…’ सुनते हुए स्वेटर बुनती हैं और और लड़कियां साइकिल पर बैठ के मैदान में चक्कर लगाती हैं. उधर यूपी में अखिलेश लाल लैपटॉप बाँट रहे हैं तो साउथ में कोई साड़ी और बिंदी बाँट रहा है. अब साड़ी, चूड़ी, रेडियो और साइकिल पर वोट मिल रहा हो तो कोई पागल है जो सड़क, बिजली, स्कूल और अस्पताल बनवाएगा. उस पैसे से एकाध कॉमनवेल्थ हो जाएगा. गाँधी और विवेकानंद आज होते तो यमुना में कूद के आत्महत्या कर लेते.
Bahut achha likha hai. Maja aa gaya.
Sir….Yamuna to ab aatma-hatya karne layak bhi nhi rahi hai 🙂
बहुत बढ़िया व्यंग्य.
पगड़ी वाले बाबा /:-)
🙂
वाह! क्या लिखा है! भई वाह! आज पढ़ पाये तो सोचा आज ही ’बेटर लेट दैन नेवर’ वाले नियम से टिपिया दें।
अति उत्तम व्यंग्य लेख॰ लेकिन जनता कब चेतेगी और ऐसे प्रलोभनों के पीछे भागना बंद करेगी ?