क्या आप इस बात से परेशान हैं कि आप इत्ते बड़े इंटेलेक्चुअल हैं लेकिन आपके फेसबुक फ्रेंड्स आपको
चूतिया बेवक़ूफ़ समझते हैं? क्या फेसबुक पर चौबीस घंटे अलग अलग सब्जेक्ट्स पर बकैती करने स्टेटस लिखने के बावजूद लोग आपको एक बुद्धिजीवी के रूप में आदर-सम्मान नहीं देते? क्या अपनी फेसबुक वाल पर लाइक्स और कमेंट्स के इंतज़ार में आपकी आँखें दुखने लगती हैं लेकिन कोई भूले-भटके भी उधर नहीं आता? क्या फेसबुक पर आपको सुन्दर कन्याओं के फ्रेंड रिक्वेtiस्ट नहीं आते और आपके फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजने पर कन्याएं आपको ब्लॉक कर देती हैं? क्या आपके द्वारा शेयर की गयी जानकारी से भरी तस्वीरों और साईं बाबा के पोस्टर्स को लोग रिपोर्ट कर देते हैं. क्या लोग आपके द्वारा प्रेमपूर्वक किये गए टैग को तुरंत रिमूव कर आपको प्राइवेट मैसेज से गाली सन्देश भेजते हैं? अगर इन सभी प्रश्नों का जवाब हाँ है तो इसका मतलब है कि आपके व्यक्तित्व में इंटेलेक्चुअल तत्व की भारी कमी है अर्थात आप इंटेलेक्चुअल कुपोषण के शिकार हैं आई मीन आपका फेसबुक प्रोफाइल इंटेलेक्चुअल कुपोषण का शिकार है. और आजतक मेडिकल सायंस फेसबुक के कर्मठ लोगों के इंटेलेक्चुअल कुपोषण को दूर करने का तरीका नहीं ढूंढ पाया है. लेकिन अगर आप इस पेज पर आ चुके हैं (जो कि आप आ ही चुके हैं अगर आप ये पढ़ रहे हैं) तो आप बिलकुल सही जगह पर हैं. इस ब्लॉग पर फेसबुक पीड़ितों की तसल्लीबख्श मरम्मत की जाती है. तो आज इस पोस्ट में मैं आपको बताऊंगा कि फेसबुक पर इंटेलेक्चुअल अर्थात बुद्धिजीवी कैसे बनें दिखें. दुसरे शब्दों में कहें तो फेसबुक पर अपना भोकाल कैसे बांधें.
अब अगर आप यह पूछ सकते हैं कि भाई बुद्धिजीवी काहे को दिखें? बुद्धिजीवी दिखने की क्या जरूरत है? तो मेरा उत्तर यह होगा कि वैसे तो ऊपर के सारे प्रश्नों का उत्तर हाँ में देने के बाद आपको चुल्लू भर पानी में डूब मरना चाहिए यह प्रश्न पूछना नहीं चाहिए, पर आपने पूछ ही लिया है तो मैं बताता हूँ. पहली बात, आपने देखा होगा कि फेसबुक पर कुछ लोग बड़े पोपुलर होते हैं- तीन-चार हजार फ्रेंड्स, सैंकड़ों फौलोअर्स, हर सड़े-गले पोस्ट पर दो-चार सौ लाइक्स और कमेंट्स. हर फोटो पर सौ-दो सौ बालिकाओं के आय-हाय-उह-आह. मुझे पता है कि आपका खून खौल जाता है जब आप देखते हैं कि उसके ठीक नीचे आपकी पोस्ट पर तीन लाइक्स और एक कमेन्ट है वो भी आपके चचेरे भाई का. तो ऐसा नहीं है कि ये सारे पोपुलर लोग कोइ बड़े विद्वान या इंटेलेक्चुअल हैं. लेकिन इन सबमें एक बात कॉमन है कि ये इंटेलेक्चुअल दिखते हैं और यही इनका यूएसपी अर्थात अंडरवीयर स्पेशल प्वायंट यूनिक सेलिंग प्वायंट है. अब इनके लेवल तक पहुँचने के लिए आपके पास दो रास्ते हैं – १) इंटेलेक्चुअल बनें या २) इंटेलेक्चुअल दिखें.
पहला रास्ता अर्थात इंटेलेक्चुअल बनने का रास्ता बड़ा कठिन है और अगर आप मूर्ख हैं तो आपको इसी रास्ते को चुनना चाहिए. इसके लिए आपको बैल की तरह सैंकड़ों किताबें पढनी होंगी. उल्लू की तरह रात-रात भर जाग कर चीजों पर चिंतन मनन करना होगा और उसके बाद भी सफलता की गारंटी नहीं है. इसलिए अधिकतर समझदार लोग और विद्वतजन दूसरा रास्ता चुनते हैं, अर्थात इंटेलेक्चुअल दिखने का रास्ता. यह रास्ता परम सरल और सुखभरा है. इस रास्ते पर चलने से पहले का जरूरी स्टेप यह है कि आप यह मान लें कि आप दुनिया में कोइ माई का लाल आपसे ज्यादा बड़ा इंटेलेक्चुअल नहीं है. ऐसा मान लेने के बाद आपका आधा कुपोषण ठीक उसी तरह दूर हो जाता है जैसे मनरेगा के आने से देश से गरीबी दूर हो गयी. इस स्टेप के बाद आप फेसबुक पर अपनी बुद्धिजीवी छवि को मजबूत करने के लिए कुछ वैसे ही कड़े कदम उठाएं जैसे घुसपैठ के बाद पाकिस्तान पर मनमोहन सिंह उठाते हैं. ये कड़े कदम निम्नलिखित हैं:-
1. ब्लैक एंड व्हाईट प्रोफाइल फोटो :- वो जो प्रोफाइल फोटो में आपने उन्नीस सौ सतहत्तर की पासपोर्ट साइज फोटो लगा रखी है पहले उसे हटा दें. हो सके तो उस मनहूस फोटो को कम्प्यूटर से परमानेंटली डिलीट मार दें. आपकी एक चौथाई कृपा तो वहीं रुकी हुई है. ओके. अब किसी कैमराधारी मित्र को चाय-समोसा खिलाकर एक ब्लैक एंड व्हाईट फोटो निकलवाएँ. उससे बोलें कि फोटो जितनी खराब आ सके उतना अच्छा. एक्सपोजर और लाइटिंग जान बुझकर गड़बड़ करने को बोलें और कहें कि कैमरे को आड़ा तिरछा करके फोटो ले. वो तिरछा न करे तो आप खुद ही तिरछे हो जाएं.
2. भोकाल हुलिया :- फोटो खिंचवाने से दो दिन पहले से खाना खाना और नहाना-धोना छोड़ दें. कुल मिलाकर आप फोटो से उन्नीसवीं सदी के अकाल में टीबी से पीड़ित किसान दिखने चाहियें. इससे फोटो में भयंकर इंटेलेक्चुअल लुक आएगा. नंबर दो, फोटो खिंचवाने के तीन महीने पहले से शेव करना छोड़ दें. अरस्तू और सुकरात से लेकर टैगोर तक आजतक दुनिया में जितने भी बुद्धिजीवी हुए हैं उनमें से किसी को भी बिना दाढ़ी के देखा है? नहीं न? तो फिर आप क्यों चूतिया टाइप से क्लीन शेव में बाबा बने फिर रहे हैं? नंबर तीन, चश्मा पहनिए. हो सके तो काली मोटी फ्रेम वाला.
3. कवि और शायर बनें :- हर बात को कविता और शायरी में कहें. इससे बात का वजन बढ़ता है. मूर्खों की तरह कविता की क्वालिटी पर ध्यान न दें. एक कविता लिखने में दस मिनट से ज्यादा लग जाए तो धिक्कार है आप पर. एक्चुअली आपको कविता लिखनी ही नहीं है. पहले आपको जो बात लिखनी हो वो लिख लें फिर उसी में बस बीच-बीच में कौमा और एंटर बटन मारते चलें. बीच में शब्दों को ऊपर नीचे भी कर दे सकते हैं. बस रेडीमेड कविता तैयार. उदाहरण के लिए आपको लिखना है कि “देश का गरीब परेशान है भूखमरी और गरीबी से और सरकार घटा रही है स्मार्टफोन के दाम. इस देश को गड्ढे में जाने से कोई नहीं रोक सकता.” तो इसे ऐसे लिखें:
देश का गरीब
परेशान है,
भूखमरी और गरीबी से,
और सरकार घटा रही है
स्मार्टफोन के दाम.
कोई नहीं रोक सकता
इस देश को,
गड्ढे में जाने से.
:- [कवि – फलाना जी ढिमकाना]
ऐसे कविता और शायरी में लिखने से आपकी बुद्धिजीवी इमेज तो बनेगी ही, हो सकता है दो चार साल में आप साहित्य के दस-बीस सम्मान-वम्मान भी बटोर लायें. साहित्य के सेमिनारों और कॉन्फ्रेस वगैरह का मुफ्त निमंत्रण मिलेगा सो अलग. इन सेमिनारों में जलपान और भोजन अच्छा मिलता है. मने बता रहे हैं.
4. भौकाल फोटोग्राफर :- यह साइंटिफिकली प्रूव्ड है कि अगर कोई कुरता-जींस और चप्पल में भारी-भरकम डीएसएलआर कैमरा, लेंस और ट्राईपॉड लिए घूम रहा है तो वह और कुछ हो न हो इंटेलेक्चुअल तो जरूर ही होगा. भले ही आपको कैमरा में फोटो खींचने वाला एक बटन दबाने के अलावा और कुछ न आता हो लेकिन रखें डीएसएलआर कैमरा ही. और फोटो ज्यादातर ब्लैक एंड व्हाईट और सीपिया टोन में खींचें. फोटो हमेशा रैंडम चीजों की खींचें. टूटी-चप्पल, जंग लगा खम्भा, कूड़े पर सोती मरियल कुतिया, फूल के बगल में गिरा गोबर आदि. गरीब और भिखारी सबसे अच्छे फोटो सब्जेक्ट्स होते हैं. इनकी बड़ी डिमांड है इंटेलेक्चुअल्स के बीच. इसलिए गरीबी की फोटो बराबर खींचें और हाँ फोटो पर ‘फलाना फोटोग्राफी’ का वाटरमार्क लगाना न भूलें. क्या पता कल को टाइम मैगजीन वाले बिना आपसे पूछे कवर पर छाप दें. इनका कोइ भरोसा नहीं. अपनी फोटोग्राफी का एक फेसबुक पेज और एक ब्लॉग भी बनाएं और अपने सारे फ्रेंड्स को उसे ज्वायन करने का इनविटेशन हफ्ते में दो बार जरूर भेजें.
5. नो सरल एंड स्पष्ट बात:- सरल और स्पष्ट तरीके से बोलना या लिखना पूअर कॉमन पीपल की निशानी है. बुद्धिजीवी को अपनी बात ऐसे गूढ़ और जटिल तरीके से लिखनी चाहिए कि कोई गलती से भी समझ न पाए. इस बात को सुनिश्चित करने के लिए कोइ बात लिखने के बाद उसमें आये सरल शब्दों को डिक्शनरी देखकर गूढ़ शब्दों से रिप्लेस करें और खुद पढ़कर देख लें कि बात के समझ आने की कोइ संभावना तो नहीं बची. उसके बात पोस्ट करें. दूसरे की पोस्ट पर कमेन्ट करते समय भी ऐसी ही प्रक्रिया अपनाएं. लोग आपकी बात एक-दो बार नहीं समझेंगे तो आपको मूर्ख समझेंगे; हमेशा ही नहीं समझ पायेंगे तो खुद को मूर्ख समझने लगेंगे.
6. विवाद पैदा करें :- यह सबसे महत्वपूर्ण है. इस बात का ख़ास ध्यान रखें कि आपकी एक भी बात ऐसी न हो जिसपर विवाद या बहस न हो. सब लोग किसी बात को गलत कह रहे हों तो आप लिखें कि इससे सही बात हो ही नहीं सकती. सबलोग एक व्यक्ति या आन्दोलन को सही बता रहे हों तो आप लिखें कि ऐसा चोर व्यक्ति आपने आजतक देखा ही नहीं और ये आदोलन तो सबसे बड़ा ढोंग है. ऐसी बातें लिखें जो परले दर्जे की बेवकूफी और बकैती हो और जिसे देखकर अच्छे-भले आदमी का ब्लड-प्रेशर बढ़ जाए और उसका मन करने लगे कि आपको सौ गाली दे और गिन कर दस जूते मारे. बदनाम होंगे तो क्या नाम न होगा? बहस जीतने के अचूक उपाय मैंने ऑलरेडी यहाँ बता रखे हैं.
7. वामपंथी-कम-नास्तिक-कम-नारीवादी बनें : – ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी वाले कह रहे हैं कि अगले एडिशन में वामपंथी, नास्तिक और नारीवादी के अर्थ में बुद्धिजीवी जोड़ दिया जाएगा क्योंकि यह बात वैज्ञानिक रूप से साबित हो चुकी है. कोई व्यक्ति यह बोल दे कि भगवान् और धर्म ही दुनिया की सारी बुराइयों की जड़ है, या ये कि वो मार्क्स के समाजवादी सिद्धांतों का अनुयायी है या ये कि वो मानता है कि दुनिया के सारे मर्द नीच और दुष्ट हैं तो फिर उसके बाद उसको खुद को बुद्धिजीवी साबित करने के लिए कुछ और कहने की जरूरत नहीं रह जाती. इसलिए इस रामवाण को आप भी जरूर आजमाकर देखें.