क्या है ब्लॉग?

by Dr. Satish Chandra Satyarthi  - July 22, 2012

अगर कोई आपसे पूछे कि ‘ये ब्लॉग क्या होता है ‘ तो उसे बेवकूफ या तकनीकी रूप से पिछड़ा हुआ मत समझिए (अगर आपको खुद भी यह पता नहीं कि ब्लॉग क्या होते हैं तो खुद को भी कमतर न समझें). गूगल के अपने आंकड़ों के अनुसार  फ्रेज “What is a blog” गूगल पर औसतन महीने में 151,000,000 बार सर्च किया जाता है. यह सही है कि इन्टरनेट पर ऑलरेडी करोड़ों ब्लॉग मौजूद हैं पर अरबों लोग अभी भी ऐसे हैं जिन्हें ब्लॉग नाम की चिड़िया के बारे में नहीं पता. पर जिन्हें पता भी है (या जिनको लगता है कि उनको पता है) वास्तव में उनमें से भी काफी लोगों के मन में ब्लॉग के बारे में गलत समझ है.

ब्लॉग के बारे से जो सबसे बड़ी मिसअंडरस्टैंडिंग है वो यह कि ब्लॉग एक तरह की ‘ऑनलाइन पर्सनल डायरी हैं.  दूसरा भ्रम जो कि ब्लॉगिंग का बहुत नुकसान कर रहा है वो यह है कि ब्लॉग  और वेबसाईट अलग-अलग चीजें हैं. ब्लॉग कोई भी बना सकता है और वेबसाईट सिर्फ कंपनियों या सेलेब्रिटीज के होते हैं. दूसरी ओर इसी कैटेगरी में ऐसे लोग भी हैं जो यह सोचते हैं कि ब्लॉग सिर्फ वही लोग रखते हैं जो बड़े कलाकार या प्रसिद्ध लोग होते हैं और जिनके काफी सारे फैन होते हैं और जिनके पास कहने और लिखने के लिए काफी कुछ होता है. ये सारी धारणाएं गलत हैं. आइये थोड़ा डिटेल में देखते हैं-

ब्लॉग भी वेबसाईट ही हैं

जी हाँ. तकनीकी रूप से ब्लॉग भी वेबसाइट्स के कई प्रकारों में से एक हैं. वेबसाइट्स और ब्लॉग्स में जो सबसे बड़ा अंतर है; या कहें कि जो दो चीजें वेबसाईट को ब्लॉग बनाती है वो है- नया और बदलता कंटेंट और इंटरैक्शन या कमेंट्स. वेबसाइट्स का कंटेंट जहां फिक्स रहता है वहीं ब्लॉग पर लेखक लगतार नयी चीजें (पोस्ट्स) लिखता रहता है. ये पोस्ट्स जेनरली बलौर पर क्रोनोलोजिकल ऑर्डर में दिखती हैं. मतलब नयी पोस्ट्स ऊपर और आगे के पृष्ठों पर दिखती हैं जबकि पुरानी पोस्ट्स पीछे चली जाती हैं. वेबसाइट्स का मकसद जेनरली सूचना देना होता है. जैसे आप किसी कंपनी या संस्था की वेबसाईट पर जाएँ तो वहाँ उसका परिचय, पता, विवरण आदि सूचनाएं होती हैं जो कि फिक्स्ड होती हैं. बदलाव के लिए नयी सूचनाओं के अलावा कुछ खास नहीं होता. वहीं ब्लॉग पर लेखक अपने विचार, ब्लॉग के विषय से सम्बंधित सामग्री या कुछ भी और लगातार अपडेट करता रहता है. ब्लॉग्स का मतलब किसी व्यक्ति या संस्था के बारे में सूचना या जानकारी देना नहीं बल्कि उस व्यक्ति या संस्था के विचारों, काम या उससे जुड़े अन्य अपडेट्स को लगातार आपके साथ शेयर करना होता है. आजकल हर बड़ी कंपनी के वेबसाईट में ब्लॉग का एक सेक्शन होता है और कई बड़े ब्लॉगर्स के ब्लॉग में उनकी वेबसाईट का एक लिंक होता है जहां उनके बारे में विस्तृत जानकारी, संपर्क सूत्र और अन्य फिक्स्ड चीजें होती हैं.

दूसरा बड़ा अंतर जो मैंने बताया वो हैं कमेंट्स. आम तौर पर वेबसाइट्स वन-साइडेड होती हैं. वो आपको सूचना देती हैं. ब्लॉग्स पर लेखक पाठकों के विचारों, टिप्पणियों और आलोचनाओं का स्वागत करता है. दरअसल बिना कमेंट्स के कोई ब्लॉग सही अर्थों में ब्लॉग है ही नहीं. वह वेबसाईट ही है.

बनाने के खर्च और तकनीक के मामले में भी वेबसाईट और ब्लॉग बराबर हैं. बनाना चाहें तो तो आप ब्लॉग और वेबसाइट्स दोनों मुफ्त में बना सकते हैं और अच्छे प्रोफेशनल तरीके से बनाना चाहें तो दोनों में बराबर खर्च है.

ब्लॉग्स सिर्फ पर्सनल डायरी नहीं हैं

दरअसल ऐसा सोचने वालों की संख्या हिन्दी और अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में ज्यादा है. हिन्दी के अधिकाँश ब्लॉग देखें तो वो निजी की श्रेणी में आते हैं. मतलब लेखक जो भी ब्लॉग पर लिखता है वह कहीं न कहीं उसकी पर्सनल लाइफ से जुड़ा है, उसके पर्सनल विचारों से जुड़ा है, उसकी पसंद से जुड़ा है. इन ब्लॉगों का मकसद आम तौर पर अपने आप को अभिव्यक्त करना, अपनी पसंद की चीजों को औरों के साथ शेयर करना या कुछ खास जानने वाले लोगों के समूह के लिए कुछ लिखना है. आपका ब्लॉग कोई खास लेख निजी डायरी की श्रेणी में आता है या नहीं ये जानने के लिए आप यह सोच कर देखें कि कोई भी बिलकुल नया व्यक्ति जो आपको या ब्लॉग को बिलकुल नहीं जानता हो वह अगर उस पोस्ट पर आ जाये और पढ़े तो क्या उसे सब समझ आ जायेगा? या कहीं से उसे ऐसे लगेगा कि यह पोस्ट उसके लिए नहीं है बल्कि लिखने वाले ने अपने जानने वालों को ध्यान में रखकर लिखी हैं?

ब्लॉग्स पर्सनल डायरी हो सकते हैं. इसमें कोई बुराई नहीं. लेकिन लिखने का तरीका ऐसा हो कि पढ़ने वाला आपके बारे में और जाने को उत्सुक हो जाए. आपकी और पोस्ट्स को छाने और आपके ब्लॉग को बुकमार्क या सब्सक्राइब करना चाहे. ऐसे कई सारे पर्सनल ब्लॉग्स हैं जो इतने पोपुलर हैं कि उनपर प्रतिदिन लाखों लोग जाते हैं.

लेकिन जरूरी नहीं कि आप पर्सनल ब्लॉग ही बनाएँ. ब्लॉग इतिहास, विज्ञान, शिक्षा, तकनीक, फोटोग्राफी या किसी भी और चीज के बारे में हो सकता है जिसमें आपकी रूचि हो और जिसके बारे में आपके पास लिखने और शेयर करने को कुछ हो. हिन्दी में भी अब ऐसे ब्लोगों की संख्या बढ़ रही है. ऐसे ब्लॉग्स का एक बड़ा फायदा यह है कि आप बाद में इन्हें व्यावसायिक रूप दे सकते हैं. अगर आप ध्यान से देखें तो सीनेट, एन्गैजेट, मैशेबल वगैरह ब्लॉग ही हैं जो आज अरबों कमा रहे हैं.

ब्लॉग्स सिर्फ एलिट्स और सेलेब्रिटीज के लिए नहीं हैं

आजकल पालतू चूहे-बिल्लियों के भी ब्लॉग हैं. मैं मजाक नहीं कर रहा हूँ. वो ज़माना गया जब इंटरनेट चुनिन्दा आर्थिक और तकनीकी रूप से संपन्न लोगों के लिए था. आज इन्टरनेट और तकनीक इतनी आसान हो गयी है कि एक सात्-आठ का बच्चा भी अपना ब्लॉग कर अपनी बातें दुनिया से शेयर कर सकता है. आपके पास अगर कुछ होना चाहिए तो वो है विचार, ज्ञान, रोचक बातें या कुछ भी ऐसा जो आपको लगता है कि कोई पढ़के कुछ सीख सकता है या आनंद ले सकता है.  कई लोग अपनी दिनचर्या को भी इतने रोचक तरीके से लिखते हैं कि उसको पढ़ना आनंददायक होता है. ऐसे कई सारे ब्लॉग्स मैं आपको बता सकता हूँ जो आम लोगों के हैं और सेलेब्रिटीज के ब्लॉग्स के कम पोपुलर नहीं हैं.

तो अगर आप ऑलरेडी एक ब्लॉगर हैं  तो जमके ब्लॉगिंग करते रहिए और नहीं हैं तो अभी शुरू कीजिये.

 

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क्यों बनाएँ अपना ब्लॉग - 5 कारण

Dr. Satish Chandra Satyarthi

Dr. Satish Satyarthi is the Founder of CEO of LKI School of Korean Language. He is also the founder of many other renowned websites like TOPIK GUIDE and Annyeong India. He has been associated with many corporate companies, government organizations and universities as a Korean language and linguistics expert. You can connect with him on Facebook, Twitter or Google+

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