Category: कोरिया

  • मेरा पहला DSLR कैमरा और कुछ तस्वीरें

    मेरा पहला DSLR कैमरा और कुछ तस्वीरें

    nikon d5300 Cameraपिछले 29 तारीख को एक अपना पहला DSLR कैमरा खरीदा – Nikon D5300. काफी रिसर्च करने के बाद मेरे बजट के अन्दर सबसे अच्छा कैमरा यही लगा. इससे पहले मेरे पास कैनन का एक छोटा डिजिटल कैमरा था – S95. हालांकि अपनी कैटेगरी में वह काफी बेहतरीन कैमरा था पर छोटे पॉइंट एंड शूट कैमरों की अपनी लिमिटेशंस होती हैं. उनमें फिक्स्ड लेंस होता है, सेटिंग्स में बहुत ज्यादा बदलाव आप नहीं कर सकते, फोकस की समस्याएँ होती हैं. इसलिए इस बार DSLR कैमरा खरीद कर फ़ोटोग्राफी सीखने का निर्णय लिया.

    nikon35mm dx 1.8gसबसे ज्यादा समस्या लेंस को लेकर हुई. मुझे पता नहीं था कि इतने तरह के लेंस होते हैं. :) सही लेंस के चुनाव के लिए काफी ज्यादा रिसर्च करना पड़ा और कई मित्रों की सलाह लेनी पड़ी. अंत में 35mm f1.8G लेंस लेने का निर्णय किया. इस लेंस की फोकल लेंथ 35mmपर फिक्स्ड होती है. इसका मतलब यह हुआ कि इससे आप ज़ूम इन या ज़ूम आउट नहीं कर सकते. आपको खुद ही चलकर सब्जेक्ट के करीब या दूर जाना पड़ेगा. यह शुरू में बहुत बड़ी लिमिटेशन की तरह लगा पर नेट पर रिसर्च के दौरान पता चला कि अधिकाँश प्रोफेशनल फोटोग्राफर शुरू में फिक्स्ड प्राइम लेंस से ही फोटोग्राफी करने की सलाह देते हैं. क्योंकि इससे आपको शुरू से ही आसानी से चीज़ों को ज़ूम करके फोटो लेने की आदत नहीं पड़ती. आप सही तरीके से फोटो को फ्रेम और कम्पोज करना सीखते हैं. एक बार इन बारीकियों की समझ हो जाने के बाद जब आप ज़ूम वाले लेंस का इस्तेमाल करते हैं तो आपकी फोटोग्राफी में और निखार आता है. इसलिए मैंने पहले लेंस के रूम में 35mm प्राइम लेंस लेने का निर्णय लिया. इस लेंस की एक और अच्छी बात यह है कि इसका एपरचर 1.8 है जो कि काफी वाइड है. इसका मतलब यह हुआ कि लेंस कम समय में ज्यादा लाईट को कैमरे में जाने देता है जिससे लो लाईट सिचुएशन में या फिर चलती-फिरती चीजों की फोटो भी ठीक आती है.

    नीचे कुछ तस्वीरें हैं जो कैमरा खरीदने बाद अपनी यूनिवर्सिटी के आस पास ली थी.

    Korean Warrior Gang Gam Chan
    हमारी यूनिवर्सिटी के पास कोरिया के प्रसिद्ध सेनापति ‘गांग गाम छान(강감찬)’ की प्रतिमा
    Old watches and beads seller in  a Seoul Street
    सियोल की एक सड़क पर पुरानी घड़ियाँ और आर्टिफिशल ज्वेलरी बेचते एक विक्रेता
    Tteokppokki Korea
    ट्रेडिशनल कोरियन स्ट्रीट फ़ूड स्टाल
    flower shop Seoul Korea
    फूलों की दुकान
  • कोरियाई हिन्दी छात्र और हिन्दी इनस्क्रिप्ट टाइपिंग

    कोरियाई हिन्दी छात्र और हिन्दी इनस्क्रिप्ट टाइपिंग

    मेरा एक स्टूडेंट हैं जिसने एक दो महीने पहले हिन्दी सीखनी शुरू की है. वह प्राइमरी स्कूल में छठी कक्षा का छात्र है; उम्र करीब 12-13 साल. दो महीने पहले उसकी मां का फोन आया था मेरे पास कि बच्चे की भारत और हिन्दी में बड़ी गहरी रूचि है और अब तक वह खुद से पढ़ाई करके हिन्दी अल्फाबेट सीख चुका है और हिन्दी पढ़ लिख लेता है. उसके माता-पिता चाहते थे कि वो सही तरीके से किसी इंस्ट्रक्टर के साथ हिन्दी की स्टडी करे.

    हाई मोटिवेशन वाले स्टूडेंट्स को पढ़ाने में मुझे मजा आता है और ऐसी स्थितियों में पैसे, समय वगैरह को ज्यादा महत्व नहीं देता. मैंने बच्चे को पढ़ाना स्वीकार कर लिया. अभी तकरीबन दो महीने हो गए इस स्टूडेंट को पढ़ाते हुए और उसकी प्रोग्रेस काफी अच्छी है. उसकी किताबों की आलमारी में भारत की संस्कृति और इतिहास वगैरह की किताबें देखकर मुझे बड़ा आश्चर्य हुआ. अपने इतिहास और संस्कृति में इतनी रुची तो आजकल खुद भारतीयों की भी नहीं है.

    हिन्दी फिल्मों में भी इस छात्र की गहरी रूचि है. वह हर हफ्ते मुझसे हिन्दी फ़िल्में मंगवाता है और उन्हें देखता है. उसने बताया कि भारत में उसकी रूचि हिन्दी फिल्मों से ही शुरू हुई. पहले वह अपने माता-पिता के साथ आस्ट्रेलिया में रहता था. उस समय स्कूल में उसका एक दोस्त भूटान से था और वह अक्सर उसके घर जाता था. वहां अक्सर टीवी पर हिन्दी गाने या फ़िल्में चल रही होती थीं. वहीं से हिन्दी और भारत में उसकी रूचि शुरू हुई.

    कुछ दिन पहले उसने मुझे महाभारत की मोटी सी किताब दिखाई जो उसने अमेजन अमेरिका से मंगाई थी क्योंकि कोरिया में महाभारत पर किताब नहीं मिल पायी. उसके बाद से अब वह अक्सर महाभारत के पात्रों और घटनाओं के बारे में मुझसे सवाल करता है. ज्यादातर का तो मैं जवाब दे पाता हूँ पर कभी-कभी मुझे भी पता नहीं होता.

    My Korean Hindi Student

    कल जब उसे पढ़ाने गया तो उसने कम्प्यूटर पर हिन्दी में एक छोटी सी कहानी लिख कर रखी थी मुझे दिखाने के लिए. हालांकि कहानी में ग्रामर की गलतियां काफी थी पर उसके स्तर के हिसाब से काफी अच्छी थी. पर जिस बात ने मुझे सबसे अधिक प्रभावित किया वो यह थी कि कहानी लिखने के लिए उसने हिन्दी इनस्क्रिप्ट कीबोर्ड का लेआउट याद किया और टाइपिंग करनी सीखी. मुझे खुद हिन्दी इनस्क्रिप्ट कीबोर्ड पर टाइपिंग नहीं आती; गूगल इनपुट टूल का इस्तेमाल करता हूँ. खुद पर शर्म आयी और निश्चय किया कि पक्का हिन्दी टाइपिंग सीखूंगा अब. दुनिया के अधिकाँश देशों के लोग अपनी भाषाओं में कीबोर्ड का इस्तेमाल करना जानते हैं. पता नहीं भारत में क्यों हम या तो रोमन में हिन्दी लिखते हैं या फिर ट्रांसलिटरेशन टूल इस्तेमाल करते हैं.

    Korean Student Hindi Writing

  • कोरिया में अंतिम संस्कार

    कोरिया में अंतिम संस्कार

    आज पहली बार कोरिया में किसी अंतिम संस्कार (장례식) में गया. तीन दिन पहले मेरे प्रोफ़ेसर की माताजी का देहांत हो गया था. दो दिन तक मैं किसी काम में बहुत बिजी था तो आज तीसरे दिन शाम में जा पाया. कोरिया में अंतिम संस्कार का कार्यक्रम साधारणतः तीन दिन का होता है. लेकिन मेरे प्रोफ़ेसर की माताजी का अंतिम संस्कार कार्यक्रम चार दिन का हो रहा है. कोरियाई अंतिम संस्कार में मृत व्यक्ति के पार्थिव शरीर को 3 या 4 दिनों तक अंतिम संस्कार-गृह (장례식장) में रखा जाता है जिससे कि जानने वाले लोग आकर मृतात्मा को श्रद्धांजलि दे सकें और शान्ति के लिए प्रार्थना कर सकें. लेकिन मृत शरीर को दर्शन के लिए खुला नहीं रखा जाता है.

    मृत्यु के बाद शरीर को अच्छी तरह सुगन्धित जल से नहलाया जाता है और फिर हाथ पैर के नाख़ून अच्छी तरह काट के, बालों को कंघी कर के, अच्छे कपडे पहनाकर ताबूत में रखा जाता है. फिर ताबूत के सामने एक पर्दा लगाया जाता है और परदे के आगे एक मेज पर मृत व्यक्ति की एक तस्वीर राखी जाती है. लोग आकर तस्वीर के आगे प्रार्थना करते हैं और सफ़ेद गुलदाउदी के फूल (Chrysanthemum flowers; 국화) अर्पित करते हैं. तीसरे या चौथे दिन शरीर को परिवार के पारंपरिक समाधि स्थल पर अन्य पूर्वजों के बगल में दफना दिया जाता है. लेकिन दफनाने की प्रक्रिया में सिर्फ परिवार और नजदीकी संबंधी ही शामिल होते हैं.

    कोरिया में अंतिम संस्कार में जाने के लिए ड्रेस कोड भी होता है – ब्लैक फॉर्मल सूट, यहाँ तक की मोज़े भी काले होनें चाहिए. जाने वाले मृतक के परिवार को एक सफ़ेद लिफ़ाफ़े में कुछ पैसे (조의금) भी देते हैं. कोरिया में अंतिम संस्कार में बहुत पैसे खर्च होते हैं इसलिए पहले से ही दुखी परिवार को धन देकर सहायता करने का आइडिया मुझे अच्छा लगा. यह रकम एक रजिस्टर में नोट की जाती है और बाद में रकम देने वाले के घर में शादी-व्याह या कोइ अन्य समारोह होने पर उसी अनुपात में रकम गिफ्ट की जाती है. मृतक के परिवार वाले भी काले कपड़े पहनते हैं. साधारण तौर पर मृतक का बड़ा बेटा सांग्जु (Sangju; 상주) की भूमिका अदा करता है; यानि सारे रीति रिवाजों को मुख्य रूप से वही निभाता है. मृतक के परिवार वाले अपनी वाहों पर एक सफ़ेद रिबन बांधते हैं जिससे परिवार वालों को बाकी लोगों से अलग पहचाना जा सके.
    जब मैं अंतिम संस्कार-गृह (장례식장) में पहुंचा तो मुख्य हॉल में एक इलेक्ट्रोनिक डिस्प्ले बोर्ड लगा था जिसपर उस दिन जन लोगों का अंतिम संस्कार हो रहा था उनकी लिस्ट आ रही थी. वहीं बगल में एक मेज पर सफ़ेद लिफाफे और कलम रखी थी. मैंने एक लिफ़ाफ़े में पैसे रखे और उस हौल की और गया जहाँ मेरे प्रोफ़ेसर साहब की माताजी का संस्कार हो रहा था.
    Korean Funeral 1

    जहां पार्थिव शरीर रखा होता है उस कक्ष के अन्दर और बाहर पारंपरिक कोरियन कैलीग्राफी में मृतक के लिए प्रार्थना और अच्छी बातें लिखी होती हैं. उसके अलावा संबंधी और जानने वाले लोग फूलों के बहुत बड़े बड़े गुलदस्ते और बैनर भी  रख जाते हैं. चूँकि मेरे प्रोफ़ेसर कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्यरत हैं इसलिए उनके जानने वालों की संख्या भी उतनी ही ज्यादा है. इस कारण गुलदस्तों और बैनरों की लाइन लगी थी. कक्ष के बाहर एक डेस्क पर दो लोग बैठे थे और एक रजिस्टर रखा था. मैंने वहां जाकर पैसे का लिफाफा जमा किया और रजिस्टर में अपने दस्तखत कर दिए.

    उसके बाद मैं जूते उतार कर हॉल के अन्दर गया. दरवाजे पर ही एक लड़की ने मुझे सफ़ेद गुलदाउदी फूलों का एक गुच्छा हाथ में दे दिया. सामने मेज पर माताजी की तस्वीर रखी थी और उसके दायीं और मेरे प्रोफ़ेसर यानी मृतक के सबसे बड़े पुत्र खड़े थे. सबसे पहले मैंने मेज पर रखी माताजी तस्वीर के आगे फूल चढ़ाए, झुक कर प्रणाम किया और खड़े होकर दो मिनट तक प्रार्थना की. फिर दायीं और मुड़कर अपने गुरूजी को झुक कर प्रणाम किया. वहाँ बोलना कुछ नहीं होता है. बस एक सम्मान और सांत्वना भरी चुप्पी काफी होती है. गुरूजी ने मेरे दोनों हाथ अपने हाथ में लेकर कर एक तरह से आने के लिए आभार प्रकट किया. फिर कहा कि खाना खाकर जाना.

    Korean Funeral 2

    वहीं बगल में भोजन करने की जगह थी जहाँ आने वाले लोग प्रार्थना करने और सांत्वना देने के बाद जाकर भोजन कर रहे थे. यह भोजन भी लगातार 3-4 दिन तक चलता रहता है. मैंने जाकर अपने डिपार्टमेंट के कुछ और छात्रों के साथ हल्का सा खाना खाया फिर वहां लोगों को खाना खिलाने में मदद करने लगा. डिपार्टमेंट के बहुत सारे छात्र-छात्राएं वहां काम में लगे थे. चूँकि गुरूजी का माताजी की उम्र भी काफी थी और एक भरी-पूरी ज़िंदगी जीकर अच्छे से गुजरी थीं इसलिए वहां पर ऐसा कोई ग़मगीन माहौल नहीं था. लोग अच्छे से हँसते गपशप करते हुए खाना खा रहे थे.

    Korean Funeral 3

    मेरा सौभाग्य रहा है कि मेरे गुरुओं का मुझपर हमेशा स्नेह रहता है. वर्तमान प्रोफ़ेसर साहब का मुझपर कुछ विशेष प्रेम रहता है. उन्हें पता है कि बीफ-पोर्क वगैरह न खाने के कारण मुझे कोरिया में खाने की बड़ी समस्या है. इसलिए जब भी मिलते हैं तो ये जरूर पूछते हैं कि खाना वगैरह ठीक से खा पी रहे हो न? तबियत-वगैरह  ठीक है न? आज भी जब मैं वहां काम में लगा था तो वे अपनी जगह से निकल कर भोजन वाली जगह पर आये और मुझे बुला कर पूछा कि खाना ठीक से खाया या नहीं; तुम्हारे खाने लायक तो ज्यादा कुछ होगा भी नहीं. मैंने बोला, नहीं सर, भर पेट खा लिया., बहुत कुछ था खाने को. फिर भी वो वहां किचेन वाले को बोल के गए कि इसको अलग से फ्रूट सलाद वगैरह बनाकर दो, ये मीट नहीं खाता है. ये अलग बात है कि मैंने बाद में कुछ खाया नहीं पर उनके स्नेह से मन अभिभूत हो गया.

    अगर आप कोरिया में अंतिम संस्कार की प्रक्रिया के बारे में और विस्तार से जानना चाहते हैं तो इन लिंक्स पर जा सकते हैं:
    http://www.seoulsite.com/survival-faq/a-korean-funeral/

    http://askakorean.blogspot.kr/2008/02/dear-korean-i-just-found-out-that-my.html

    http://www.eslpost.com/info/faq_qanda.php?id=160

  • कोरियन सेवॉल जहाज दुर्घटना

    कोरियन सेवॉल जहाज दुर्घटना

    korea sewol ship accident2साढ़े तीन साल तक यहाँ रहने के दौरान मैंने इस देश को इतने दुःख और अवसाद में डूबे हुए कभी नहीं देखा. कोरियन लोग दुनिया के सबसे मेहनती और जीवट लोगों में से हैं. जब पूरी दुनिया के लोग नॉर्थ कोरिया के अटैक को लेकर टेंशन में थे तब कोरिया में कोई इसकी बात भी नहीं करता था. लोग बिना किसी चिंता के अपने-अपने काम में लगे हुए थे.
    लेकिन पिछले 2 दिनों में जितने भी कोरियन लोगों से मेरी बात हुई सब के सब ने ये बताया कि वे इस दुर्घटना से बहुत परेशान हैं. शायद एक कारण यह भी है कि डूबे जहाज में अधिकतर हाई-स्कूल के बच्चे थे. कोरिया एक ऐसा देश है जहाँ युवा आबादी बड़ी तेजी से कम हो रही है और बूढ़े लोगों की संख्या बढ़ रही है. ऐसे में एक साथ इतने बच्चों का दुर्घटनाग्रस्त होना सिर्फ उनके परिवारों के लिए नहीं पूरे देश के लिए दुख की घटना है.
    मलेशियन फ्लाईट और अभी सेवॉल शिप के साथ हुई दुर्घटना से यह अहसास होता है कि हम तकनीकी रूप से अभी कितना पीछे हैं और प्रकृति के आगे कितने विवश. पीड़ितों और उनके परिवारवालों के लिए प्रार्थना ही की जा सकती है. 

    korea sewol ship accident

  • ईद की सेवई

    ईद की सेवई

    कल ईद थी. तो सोचा क्यों न सेवई खाई जाए. पिछली बार भारत से आते समय सेवई का एक पैकेट लेता आया था. तो सुबह उठ कर फ्रेश हुआ चाय बनाई और सेवई बनने के लिए गैस पर डाल दी. चाय पीते-पीते और फेसबुक पर थोड़ी बकैती करते-करते सेवई रेडी हो गयी. फिर एक कर्मठ फेसबुकिए की तरह खाने से पहले उसकी फोटो ली, फेसबुक पर लगाई और फिर खाया. 🙂

    ईद की सेवई
    ईद की सेवई

    तो फोटो के साथ निमंत्रण भी लगा दिया कि किसी को आना है तो आ जाओ. तो शिवाजी नाम के एक मराठी छात्र हैं जो हमारी बिल्डिंग में ही दो कमरे बाद रहते हैं. उन्होंने कहा कि मैं आ रहा हूँ. मैंने कहा बिलकुल आइये. फिर शिवाजी आये, उनको सेवई खिलाई और आधे घंटे तक गपशप की. बातचीत का निचोड़ यह निकला कि सायंस की फील्ड में पीएचडी करने वालों का बड़ा बुरा हाल है और सबसे अच्छी तो सरकारी नौकरी ही होती है. 😉

  • धाराप्रवाह हिन्दी बोलने वाला कोरियन छात्र जुन हाक उर्फ़ आमिर

    धाराप्रवाह हिन्दी बोलने वाला कोरियन छात्र जुन हाक उर्फ़ आमिर

    जुन हाक उर्फ़ आमिर
    जुन हाक उर्फ़ आमिर
    ये हैं आमिर.. कोरियन नाम – जुन हाक [ 이준학 ] . उम्र 17 साल. सियोल के बाहर एक छोटे से गाँव में इनका घर है. हाई स्कूल के छात्र हैं. इंडियन स्टैण्डर्ड से दसवीं क्लास के. आमिर के गाँव के पास इंडस्ट्रियल एरिया है जहाँ पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल जैसे देशों से आये काम करने वाले लोग बहुत रहते हैं. इन देशों के लोग मिलने पर कॉमन लैंगुएज के रूप में हिन्दी/उर्दू का प्रयोग करते हैं. इन वर्कर्स से मिलकर आमिर की हिन्दी में रूचि हुई और तीन साल पहले, यानि जब ये सातवीं कक्षा में थे, इन्होने खुद से हिन्दी सीखना शुरू किया. कोरिया में प्रकाशित हिन्दी की कुल दसों किताबें खरीदीं और लगभग रट लीं. साथ ही इन्होने उर्दू स्क्रिप्ट भी सीखना शुरू किया. आज इनकी हिन्दी और उर्दू सुनकर आप दंग रह जायेंगे. धाराप्रवाह हिन्दी-उर्दू बोलते पढ़ते और लिखते हैं. मैं कोरिया में बहुत हिन्दी पढ़ने वालों से मिला हूँ. कई तो ऐसे थे जो हिन्दी मेजर से बैचलर और मास्टर डिग्री धारी थे. पर इतनी बेहतरीन हिन्दी बोलने वाला अब तक एक भी नहीं मिला. आमिर भविष्य में यूनिवर्सिटी में हिन्दी पढना चाहते हैं और भारत जाना चाहते हैं.
    कुछ दिन पहले आमिर ने मेरे ब्लॉग देखकर मुझे फोन किया था और इनकी हिन्दी सुनकर मैं बहुत प्रभावित हुआ. पिछले सप्ताह मैंने इनको अपने घर बुलाया. काफी देर बात की और इनका एक ऑडियो इंटरव्यू भी लिया.  तो ये लीजिये ये रहा नीचे इनका इंटरव्यू.
    मैंने आमिर को सलाह दी है कि वे हिन्दी में भी अपना एक ब्लॉग बनाएं और उनको इसके बारे में सारी तकनीकी जानकारी भी दी है. शायद ये आगे आपसे हिन्दी ब्लौगिंग की दुनिया में भी मिलें. आमिर के बेहतर भविष्य के लिए मेरी शुभकामनाएं.
  • हान नदी, सौन्युदो पार्क और 4DX थियेटर में मूवी

    हान नदी, सौन्युदो पार्क और 4DX थियेटर में मूवी

    पिछले रविवार को अपने मित्र अमोल के साथ हान नदी की और घूमने गया. हान नदी कोरिया की कैपिटल सिटी सियोल के बीचोबीच से गुजरती है. कुछ-कुछ दिल्ली की यमुना की तरह. पर जहाँ एक और हमने यमुना को दिल्ली की सारी गंदगी डालने का नाला बना रखा है वहीं हाँ नदी की स्वच्छता और खूबसूरती को यहाँ के लोगों ने संजोकर रखा है. शहर के अन्दर इस नदी की पूरी लम्बाई के किनारे की जगह को पिकनिक स्पॉट के रूप में विकसित किया गया है. हरी घास और पौधे लगाए गए हैं. छोटा-मोटा सामन, खाना-पानी बेचने वाली दुकानें लगाई गयी हैं. अगर आप नदी किनारे साइकिल चलाने का आनंद लेना चाहते हैं तो किराए पर साइकिल भी उपलब्ध है. नदी में बोटिंग, राफ्टिंग और जहाज पर बैठकर नदी की सैर करने की सुविधा भी उपलब्ध है. कुल मिलाकर हान नदी का किनारा सियोल की सबसे ख़ूबसूरत जगहों में से एक है. मेरे जैसे लोग खाली समय में भीडभाड़ वाले चमकते शॉपिंग मॉल्स की जगह नदी के किनारे शान्ति से कुछ समय बिताना ज्यादा पसंद करते हैं.

    हान नदी के बीच में एक छोटा सा टापू है जो कुछ साल तक पहले सिर्फ वीरान जंगल की तरह था. सियोल गवर्नमेंट ने इसे विकसित कर सौन्युदो पार्क बनाया. इसमें प्राकृतिक वनस्पतियों का एक म्यूजियम बनाया. लोगों के बैठने के लिए पार्क जैसी जगह बनायी और टापू को लकड़ी और धातु के एक ख़ूबसूरत पुल से नदी के किनारे से जोड़ा.

    हान नदी और पार्क में घूमने के बाद हमने टैक्सी ली और सिन्दोरिम के टाइम्स स्क्वेयर मॉल पहुंचे. प्लैन था कि सबसे पहले कॉफ़ी पी जायेगी फर थोड़ी देर मॉल घूमा जायेगा. कुछ पसंद आया तो शॉपिंग की जायेगी फिर खाना खाके वापस घर निकला जायेगा. लेकिन जहाँ हमने कॉफ़ी पी वहीं बगल में CGV का थियेटर था तो प्लेन बना कि एक मूवी भी देख ही ली जाये. जाकर मूवी के पोस्टर देखे. दोस्त को कोरियन नहीं आती इसलिए कोरियन फिल्म तो ऑप्शन में थी ही नहीं. दो हॉलीवुड फिल्मों पर विचार किया गया – ‘व्हाईट हाउस डाउन’ और ‘वर्ल्ड वार ज़ी’. मित्र का मन था व्हाईट हाउस डाउन देखने का पर मैंने वर्ल्ड वार ज़ी देखने के लिए कन्विंस किया. फिर सवाल आया कि फिल्म नॉर्मल थियेटर में देखी जाय, 3D में या 4DX  में. 4DX की टिकट काफी महंगी थी पर आज तक 4DX में कोइ फिल्म देखी नहीं थी तो डिसाइड हुआ कि उसी में देखा जाए. तो हमने 9 बजे की टिकट खरीद ली. उस वक्त साढ़े छह बज रहे थे. सोचा कि मॉल घूमकर खाना खाते खाते नौ बज जायेंगे. फिर हम करीब एक घंटा मॉल में घूमे. फिर एक मेक्सिकन रेस्टोरेंट ‘ऑन द बौर्डर’ में गए. उस रेस्टोरेंट में कुछ ज्यादा ही भीड़ थी. गेट पर बुकिंग करने वाली लड़की ने बताया कि तीस से चालीस मिनट तक इंतज़ार करना पड़ेगा. दोस्त ने उस रेस्टोरेंट की बड़ी तारीफ़ की थी इसलिए मैंने कहा कि इंतज़ार कर ही लेते हैं. अच्छी बात ये रही कि हमारा नंबर पच्चीस मिनट में ही आ गया. रेस्टोरेंट का मेक्सिकन खाना वाकई बेहतरीन था. खाना खाकर हमलोग मूवी देखने के लिए निकले.

    4DX टेक्नॉलोजी कोरिया की ही कंपनी CJ ने डेवलप की है और यहाँ कई सालों से है. भारत में अभी तक कोई 4DX थियेटर नहीं है. इसमें मूवी तो 3D होती ही है साथ में रियलिस्टिक इफेक्ट देने के लिए सीन के अनुसार सीट में मोशन और वाइब्रेशन होता है, पानी के फब्बारे और धुआँ वगैरह निकलता है, परदे के साथ-साथ सिनेमा हॉल की भी लाइट्स चमकती-बुझती हैं (जैसे बिजली चमकने के सीन में), यहाँ तक कि सीन के अनुसार 1000 तरह की गंध वाले परफ्यूम भी स्प्रे होते हैं.. कुल मिलाकर आपको लगता है कि आप फिल्म का एक हिस्सा हैं. ज्यादा जानकारी के लिए ये साईट देखिये. http://www.cj4dx.com/about/effects.asp  फिल्म देखने का यह बिलकुल ही नया और अद्भुत अनुभव था.

     

  • इंतज़ार

    इंतज़ार

    बस स्टॉप कोरिया

    वह बड़ी देर से खड़ा है बस स्टॉप पर.. बाएं हाथ में छाता.. दायें में एक भारी सा बैग. वह बार बार दूर से आती हुई सड़क की ओर देखता है.. वैसे सड़क आती हुई है या जाती हुई, कहना मुश्किल है.. शायद वह रुकी हुई है.. हाँ तो वह रुकी हुई सड़क को देखता है.. मैं अनुमान लगाता हूँ कि वह आती हुई बस को देखना चाह रहा है.. लेकिन यह बस मेरा अनुमान ही है.. हो सकता है वह टैक्सी या फिर किसी और चीज का इंतज़ार कर रहा हो.. शायद किसी अपने का..

    बेसब्री उसके चेहरे से झलक-झलक पड़ती है.. बेसब्री या चिड़चिड़ापन.. कहना मुश्किल है.. हल्की बारिश हो रही है.. वह बीच-बीच में आसमान की ओर भी देख लेता है. पर मेरा अनुमान है कि आसमान से किसी चीज के आने का इन्तजार नहीं है उसे.. शायद जिस चीज का इंतज़ार है उसका आसमान से कोई सम्बन्ध हो.. उसका चिड़चिड़ापन उस आने वाली चीज के लिए है या आसमान के लिए यह भी समझना आसान नहीं है..

    अभी-अभी एक टैक्सी गुजरी है.. टैक्सी वाले ने उसके पास आकर रफ़्तार थोड़ी धीमी की थी.. फिर आगे बढ़ गया था.. शायद उसे लगा हो कि जिसका इंतज़ार किया जा रहा है वह वही है.. ऐसा लगना बहुत आसान है. हमें अक्सर ऐसा लगता है.. खैर, इससे यह बात तो साफ़ हो गयी कि वह टैक्सी का इंतज़ार नहीं कर रहा था. फिर शायद बस का? या किसी और चीज का?

    अब वह बेचैनी से इधर-उधर टहलने लगा है. बस-स्टॉप के आसपास के क्षेत्र में बेचैनी को महसूस किया जा सकता है. अब वह घड़ी भी देखने लगा है बीच-बीच में. –उसके होंठ हिल रहे हैं बीच-बीच में.. शायद वह बीच में खुद से कुछ बोल रहा है. हो सकता है वह प्रार्थना कर रहा हो.. हो सकता है गाली दे रहा हो.. पर किसे? जिसका वह इंतज़ार कर रहा है? या खुद को.. या खुदा को… नहीं, नहीं.. खुदा से तो प्रार्थना कर रहा था.. नहीं कर नहीं रहा था.. सिर्फ मैंने सोचा था कि शायद कर रहा हो…

    अचानक वह सीधा खड़ा हो जाता है और एक बार फिर दूर सड़क की ओर देखता है. इस बार वह ज्यादा देर तक देखता है… सड़क पर कुछ नहीं है.. किनारे फुटपाथ पर एक लड़की चलती आ रही है. सुन्दर सी.. चेहरे पर कोई भाव नहीं.. हाथ में एक थैला.. वह लड़की को अजीब सी नजरों से देखता है.. शायद चिढ़ है उसके चेहरे पर.. वह सड़क के  दूसरे छोर की ओर देखता है.. एक पल ठिठकता है… फिर तेज क़दमों से उस ओर चल पड़ता है… अब उसके चेहरे पर निश्चय के भाव हैं.. साथ में थोड़ी चिढ़ के भी..

    लड़की आकर बस स्टॉप पर रुक जाती है.. वह भी दूर सड़क की ओर देखती है.. उसके चेहरे पर कोई भाव नहीं है.. एक बार वह सड़क के दूसरे छोर की ओर देखती है.. जाते हुए लड़के की ओर.. सड़क के दूसरे छोर से एक बस आ रही है.. लड़की आवाज सुनकर उस ओर देखती है… उसके चेहरे पर इत्मीनान के भाव आ जाते हैं.. बस लगभग स्टॉप तक पहुँचने वाली है.. सड़क के दूसरे छोर से लड़का वापस दौड़ता हुआ आ रहा है.. वह तेज दौड़ रहा है. लड़की बस में चढ़ गयी है… लड़का अभी थोड़ी दूर है.. शायद उसे बस का ही इंतज़ार था… बस आगे बढ़ जाती है.. शायद उसे नहीं पता कि कोई उसका इंतज़ार कर रहा था.. कि कोई उसके लिए वापस आ रहा है..

  • एक प्यारा सा हिन्दी होमवर्क

    एक प्यारा सा हिन्दी होमवर्क

    इंडियन कल्चरल सेंटर, सियोल में मेरी बिगिनर हिन्दी क्लास की सबसे छोटी स्टूडेंट ने इस बार क्लास के बाद ये प्यारा सा होमवर्क जमा किया.  हिन्दी, अंग्रेजी और कोरियन का कॉम्बिनेशन.  🙂 होमवर्क हिन्दी में कुछ वाक्य बनाकर लाने का था. बच्ची की उम्र कोई सात-आठ साल की होगी. अभी तो अपनी मातृभाषा में भी ज्यादा कठिन वाक्य बनाने की क्षमता नहीं है उसकी. अंग्रेजी भी कमजोर है.  फिर भी कुल मिलाकर मात्र 3-4 क्लासेज के बाद इतना अच्छा होमवर्क कम बड़ी बात है क्या? 🙂 (more…)

  • हिन्दी दिवस से नयी शुरुआत

    हिन्दी दिवस से नयी शुरुआत

    Indian Cultural Centre Seoul इस बार के हिन्दी दिवस से दो अच्छे काम शुरू कर रहा हूँ जिनको लेकर मैं काफी उत्साहित हूँ. पहला सियोल में भारतीय दूतावास के सांस्कृतिक केन्द्र (Indian Cultural Centre, Seoul) में हिन्दी शिक्षक के रूप में पढ़ाना शुरू किया और दूसरा कोरियन यूनिवर्सिटीज में हिन्दी पढ़ रहे छात्रों के लिए मुफ्त में हिन्दी क्लासेज शुरू करने जा रहा हूँ. (more…)